आमगाँव की जमीं का सच और हरीश का मौन !

शेयर करें...

नेशन अलर्ट/97706 56789

रायपुर.

प्रदेश के पूर्व आबकारी मँत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद सहयोगियों में बेचैनी बढ़ गई है. लखमा के सुपुत्र व सुकमा जिला पँचायत के अध्यक्ष हरीश के मौन ने इस बेचैनी को और बढा़ने का काम किया है. बस्तर से लेकर रायपुर और राजनांदगाँव तक में सहयोगी हाथ पैर मारते नज़र आ रहे हैं.

प्रवर्तन निदेशालय यानिकि ईडी ने कवासी लखमा को अपनी गिरफ्त में लिया है. उन पर आरोप है कि उनके आबकारी मँत्री रहते हुए प्रदेश में तकरीबन 22 सौ करोड़ का कथित शराब घोटाला हुआ था.

ईडी ने तीसरी पूछताछ के बाद कवासी को सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया था. वहाँ उनकी गिरफ्तारी दर्शाते हुए उनकी रिमांड माँगी गई थी.

अचानक चुप हो गए हरीश . . .

इस समय तक लखमा के सुपुत्र हरीश ईडी दफ़्तर से लेकर न्यायालय परिसर तक भागदौड़ करते देखे जा सकते थे. इसके बाद से हरीश की चुप्पी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

क्या कारण है कि हरीश मौन हैं ? इसके पीछे उनके उन सहयोगियों का हाथ बताया जाता है जोकि कथित रूप से उनके व कवासी के पैसों को इधर उधर कर रहे थे.

अवैध रूप से कमाए गए इन्हीं रूपयों से कवासी और हरीश के सहयोगियों ने राजनांदगाँव में सैकडो़ं एकड जमीन खरीदी थी इसकी जाँच किए जाने की खबर मिल रही है. यह यदि सच है तो मामला अभी और करवट लेगा.

इधर, हरीश मौन हुए या कराए गए यह सोचनीय तथ्य है. और तो और सुकमा जिला पँचायत स्थित अपने दफ़्तर से भी उन्होंने दूरी बना ली है.

सुकमा स्थित जिला पँचायत के लैंडलाइन नंबर पर घँटी दी गई थी. फोन उठाने वाले लिपिक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पहले हरीश लखमा प्रत्येक दो चार दिन के भीतर आते थे लेकिन इस बार एक माह से वह कार्यालय नहीं आए हैं.

इस पर हरीश लखमा के मोबाइल पर घँटी दी गई. हरीश के मोबाइल 90217* पर शुक्रवार को 13.20 बजे घँटी की गई थी. शनिवार को फिर 11.50 बजे घँटी दी गई.

लेकिन दोनों ही मर्तबा मोबाइल में स्विच आफ होने का सँदेश सुनाई देते रहा. बताया जाता है कि कानून के जानकारों व सहयोगियों ने हरीश को मौन साधे रहने कहा है.

इधर, राजनांदगाँव जिले के छुरिया परिक्षेत्र में एक रहस्यमयी चुप्पी देखी जा रही है. इसी परिक्षेत्र में शामिल आमगाँव जैसे गाँव कवासी प्रकरण के बाद इन दिनों चर्चा में हैं.

दरअसल, यहाँ कवासी व हरीश लखमा के द्वारा कथित तौर पर उपलब्ध करवाए गए करोड़ों रूपए से सैकड़ों एकड़ जमीन पूर्व में खरीदे जाने की गूँज सुनाई देती रही है. इस पर छुरिया क्षेत्र के राजस्व अमले ने भी मौन साध लिया है.

निचले स्तर के कर्मचारियों से बात करने पर वह अपने से ऊपर के अधिकारी ही बता पाएंगे कहकर ऐसे चुप हो जाता है जैसे उसे किसी ने अपने दबाव में लिया है. उधर, ऊपर के अधिकारी वाट्सऐप पर किए गए सँदेश का कोई जवाब ही नहीं देते.

बहरहाल, लगता है कवासी – हरीश लखमा के मामले में राजनांदगाँव के तार कहीं न कहीं जुडे़ हुए है. दाल में कहीं न कहीं, कुछ न कुछ काला तो है और इसे ही उजागर किए जाने का प्रयास हो रहा है.