राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शाहिद भाई ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार कि आरक्षण नियम की पोल खोलते हुए कहा कि वर्तमान में जिस प्रकार से आरक्षण नियमों का पालन करते ग्राम, जनपद, जिला पंचायत, नगरीय निकाय के आरक्षण प्रक्रियाधीन है, उसके चलते पूरे प्रदेश के एक भी जिला पंचायत सीट में ओबीसी का अध्यक्ष पद के लिए आरक्षित नहीं होने वाला है, जो राज्य के ओबीसी वर्ग के साथ छग की भाजपा सरकार का अन्यायकारी नीति है।
महामंत्री शाहिद भाई ने जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की तुलनात्मक सारणी को स्पष्ट करते हुए बताया कि जहां पूर्व में 2019 में जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए 7 सीट आरक्षित थी, वहां वर्तमान में शून्य होने की स्थिति है, ऐसे में आरक्षण नियमों के बदलाव पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की बातें भी झूठी साबित हो रही है, क्योंकि उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा था कि जहां ओबीसी की जनसंख्या अधिक है, वहां पंचायत स्तर एवं नगरीय निकाय क्षेत्र में ओबीसी को लाभ दिया जाएगा, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने जो आरक्षण नियम राजपत्र में प्रकाशित कर प्रक्रिया निर्धारित की है, उसमें ओबीसी को अलग से कोई आरक्षण का लाभ देने का उल्लेख नहीं है। ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, नगरी निकायों में एससी-एसटी के लिए 50 प्रतिशत या उससे अधिक स्थान आरक्षित हो वहां पिछड़ा वर्ग के लिए स्थान आरक्षित नहीं करने का स्पष्ट उल्लेख इस बात को प्रमाणित करता है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में भी 25 प्रतिशत सीट ओबीसी के लिए आरक्षित की थी। वर्तमान में जिस प्रकार से नगरीय निकायों के आरक्षण प्रक्रिया अपनाई गई वह भी पूर्ण रूप से दोषपूर्ण है, क्योंकि आरक्षण प्रक्रिया को वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बनाकर किया गया है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण की प्रक्रिया 2024 की पिछड़ा वर्ग आयोग के जनगणना के आधार पर किया गया है। इसी दोस्त पूर्ण प्रक्रिया के चलते वर्तमान में हुए नगरीय निकाय के आरक्षण में कांकेर नगर पालिका में ओबीसी के पूर्व में पांच सीट पार्षद के आरक्षित थी, जो वर्तमान में चार सीट हो गई है। इसी प्रकार अंतागढ़ नगर पंचायत में ओबीसी के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं हुई है, यही हालत बस्तर, सरगुजा सहित संपूर्ण छत्तीसगढ़ में है, इससे यह साफ होता है कि छत्तीसगढ़ की सरकार आरक्षण नियमों को उलझा कर स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं करने की अपनी साजिश पूर्ण मंशा के साथ काम कर रही है है। कुल मिलाकर राज्य सरकार स्थानीय स्तर के नेतृत्व को भी आगे नहीं आने देना चाहती है।
(यह खबर टीम नेशन अलर्ट द्वारा संपादित नहीं की गई है. जैसी मिली वैसी प्रकाशित हुई है. अत: नेशन अलर्ट किसी भी तरह की गल्ती के लिए जिम्मेदार नहीं है.)