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रायपुर/राजनांदगाँव.
पुलिस आरक्षक भर्ती में हुई कथित गड़बड़ी ने छत्तीसगढ़ सरकार और सहयोग कर रही कँपनी को विवादों में ला दिया है. पहले आरक्षक की आत्महत्या से सरकार डर गई और अब भर्ती निरस्त किए जाने के बाद कँपनी ने मौन साध लिया है.
मामला राजनांदगाँव से जुडा़ हुआ है. यहाँ का प्रभार उन विजय शर्मा के पास है जोकि राज्य के गृहमंत्री भी हैं.
मतलब साफ है कि गृहमंत्री के प्रभार वाले जिले में उन्हीं के विभाग में हो रही भर्ती में कथित तौर पर गड़बड़ी पाई गई. मामला तब बेहद गँभीर हो गया जब अधिकारियों की कथित मिलीभगत का आरोप लगाते हुए एक आरक्षक फँदे पर झूल गया.
कैसे प्रदेश का काम मिला . . ?
अब सवाल पर सवाल उठ रहे हैं. इनकी जद में सरकार के साथ साथ वह कँपनी भी है जोकि पूरे प्रदेश में भर्ती करवा रही है. छत्तीसगढ़ से लेकर तेलंगाना तक किंतु परंतु हो रहा है.
दरअसल, जिस कँपनी का भर्ती में सहयोग करने की जिम्मेदारी मिली है, उसे यह काम कैसे मिला इस पर सवाल उठ रहे हैं. यह वह कँपनी ने जिसने वन विभाग में भर्ती कराई थी जिस पर कई तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं.
लेकिन नांदगाँव की विवादित भर्ती के बाद कँपनी ने एक तरह से मौन साध रखा है. कँपनी का कोई भी अधिकारी अथवा निदेशक कुछ भी बोलने तैयार नहीं है.
इधर, जिन लोगों ने कोर्ट जाने की तैयारी शुरू की थी वह निरस्तीकरण के बाद जाँच पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद ही वह आगे का कदम उठाएँगे.
बहरहाल, काँग्रेस के शहर अध्यक्ष कुलबीर सिंह छाबडा़ कहते हैं कि पूरी प्रक्रिया विवादित है. पार्टी की इस पर निगाह लगी हुई है. पार्टी से जो निर्देश मिलेगा उस अनुरुप कदम उठाया जाएगा.