राजनांदगांव। कांग्रेस कमेटी शहर दक्षिण ब्लॉक के अध्यक्ष सूर्यकांत जैन ने राजनांदगांव पुलिस भर्ती मामले में तथाकथित सुशासन सरकार भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराई तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस अधिकारियों द्वारा आरक्षक को प्रताड़ित करना और आरक्षक द्वारा आत्महत्या कर लेना निश्चित रूप से बड़ी दुखद घटना है। यह घटना ऐसे समय में घटित हुई है, जब खुद राज्य सरकार सुशासन का ढिंढोरा पीट रही है। निष्पक्ष सीबीआई जांच हो और दोषी पुलिस अधिकारियों और इसमें संलिप्त भाजपा नेताओं का चेहरा सामने आए और उन्हें दंडित किया जाए, तभी सुशासन की बात सही मानी जाएगी। सिर्फ पुलिस के किसी बड़े अधिकारी को निलंबित कर या यहां से हटकर अपनी कर्तव्यों की इतिश्री ना मान ले, बल्कि सरकार उन्हें कानून के अनुसार दंडित करें, मामला जन चर्चा का विषय बना हुआ है और अगर इस मामले में राज्य सरकार हिल हवाला करती है, तो आने वाले नगरीय निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सरकार की भद पीट सकती है, इतना तय है।
श्री जैन ने आगे कहा कि कांग्रेस के 5 साल के शासनकाल में भाजपा सरकार भ्रष्टाचार की आरोप लगाते रहती थी और सड़कों पर आंदोलन भी करती थी, आज इस मामले में कम से कम प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर स्थिति स्पष्ट करें, तो भी माना जाएगा कि भाजपा वाकई सुशासन चाहती है। उन्होंने यह मांग की आत्महत्या करने वाले पुलिस संरक्षक के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। इतना ही नहीं जांच के जद में आए अन्य पुलिस आरक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। राजनांदगांव रेंज में चल रही पुलिस भर्ती प्रक्रिया को लेकर शुरूआत से ही तमाम तरह सवाल उठाए जा रहे हैं। इस दौरान भर्ती प्रक्रिया में ड्यूटीरत एक आरक्षक अनिल रत्नाकर द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने की घटना ने पूरे पुलिस विभाग को ही कटघरे में ला खड़ा किया है। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम को लेकर अब चर्चा सरगर्म है कि पुलिस अधिकारी द्वारा मारपीट और प्रताड़ित करने के कारण ही आरक्षक द्वारा आत्मघाती कदम उठाया गया है। मामला काफी गंभीर होने के कारण पूरे घटनाक्रम को लेकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि पुलिस भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव कर उन्हें परीक्षा से वंचित किया गया है, उस आधार पर इस पूरी प्रक्रिया को रद्द कर पुनः आयोजित करने की मांग की है। वंचित और आहत युवक5युवतियों की पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से प्रक्रिया अपनाई जाए, ताकि पात्र अभ्यर्थियों को मौका मिल सके।
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