आईपीएस जीपी सिंह : दुख भरे दिन बीते रे भईया . . !

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मृत्युंजय

नेशन अलर्ट/9770656789

राजनांदगाँव/रायपुर/बिलासपुर.

अखिल भारतीय पुलिस सेवा यानिकि आईपीएस अफसर जीपी सिंह के नाम की चर्चा एक मर्तबा पुन: होने लगी है. दरअसल, वर्ष 2024 जीपी सिंह के लिए “दुख भरे दिन बीते रे भईया” सा जान पड़ता है. पहली छमाही में पुनर्बहाली पाई और दूसरी छमाही में अपने खिलाफ दर्ज किए गए अपराधिक मामले में रपट खारिज करवा ली.

अपने जीवन में पहली जुलाई 2021 की सुबह जीपी सिंह भले ही याद रखना न चाहें लेकिन यह तारीख उन्हें बार बार याद आती रहेगी.

इसी सुबह उस अधिकारी (जीपी सिंह) के यहाँ छापा डाला गया था जोकि पूर्व में बस्तर के पुलिस अधीक्षक रहते हुए अपने महानिरीक्षक (आईजी) के सरकारी निवास पर छापा डालकर चर्चा में आया था.

आईपीएस आरिफ की काबिलियत कटघरे में . . .

आमचो बस्तर आमचो पुलिस, संवेदना कक्ष, हर हेड हेलमेट, मिशन ई-रक्षा, राखी विद खाकी, चुप्पी तोड़ो जैसे ढेरों अभियान से जो छवि आईपीएस शेख आरिफ ने बनाई थी उस पर जीपी वाला मामला पानी फेर गया. आईपीएस शेख आरिफ साहेब की काबिलियत ही कटघरे में नज़र आ रही है.

दरअसल, सारा मामला उन्हीं के समय का है. जीपी और शेख आरिफ का यह मामला राजनीति के साथ साथ आपसी उठापटक का भी हो सकता है.

“नेशन अलर्ट” अपने पाठकों को थोडा़ पीछे ले जा रहा है. रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर शेख आरिफ पदस्थ थे. इधर, ईओडब्यू एसीबी की कमान जीपी सिंह के हाथों में थी.

पहली जून 2020 को राज्य सरकार का एक आदेश जारी होता है. इस आदेश में जीपी सिंह को ईओडब्यू चीफ के पद से हटाने का उल्लेख था.

इसी आदेश में तत्कालीन एसएसपी रायपुर शेख आरिफ, डीआईजी ईओडब्यू एसीबी के पद पर पदस्थ कर दिए जाते हैं. इसके बाद राजद्रोह, ब्लैकमेलिंग और आय से अधिक संपत्ति का सारा प्रकरण जीपी के खिलाफ तैयार होता है.

जीपी सिंह के रायपुर स्थित सरकारी आवास सहित राजनांदगाँव व ओडिसा के ठिकानों में छापा डाला गया था. आपूर्तिजनक दस्तावेज सहित 10 करोड़ की अघोषित सँपत्ति मिलने का दावा तब किया गया था. पूरी कार्यवाही का मार्गदर्शन आईपीएस आरिफ ने किया था.

इन्हीं सब मामलों के चलते फरारी के मध्य जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित कर दिया जाता है. इसके बाद 11 जनवरी 2022 को नोएडा से उनकी गिरफ्तारी बताई जाती है.

अब आता है साल 2023. इसी वर्ष की 21 जुलाई को जीपी सिंह अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिए जाते हैं. जिस अफसर का भविष्य प्रदेश की पुलिस में उज्जवल बताया जा रहा था वह अब नौकरी में ही नहीं रहा था.

इधर कोर्ट कचहरी के चक्कर जीपी लगा रहे थे उधर एक से बढ़कर बेहतरीन पदस्थापना शेख आरिफ को मिल रही थी. वह रायपुर एसएसपी के पद से बतौर डीआईजी ईओडब्यू एसीबी में आए थे और यहाँ से आईजी रायपुर होकर लौट गए.

18 नवंबर 2022 को आईपीएस की नवीन पदस्थापना का एक आदेश जारी होता है. इस आदेश में आईपीएस बद्रीनारायण मीणा का भी नाम होता है जोकि दुर्ग रेंज के साथ साथ रायपुर रेंज के भी आईजी का दायित्व सँभाल रहे थे.

21 नवंबर 2022 को रायपुर आईजी का चार्ज आईपीएस मीणा, आईपीएस आरिफ को सौंपते नज़र आते हैं. कारण, वही अब रायपुर आईजी का दायित्व सँभालने जा रहे थे.

उधर, अपने आपको बेहद ईमानदार अफसर बताने वाले आईपीएस डीएम अवस्थी को शेख आरिफ के स्थान पर ईओडब्यू एसीबी का नया मुखिया बना दिया गया था. अवस्थी और जीपी के भी सँबँध कोई ठीक नहीं बताए जाते थे.

जीपी के लिए मतलब एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति थी. फिर भी उन्हें कोर्ट कचहरी पर पूरा भरोसा था. इसका सुखद परिणाम भी उन्हें इस साल एक अप्रेल को मिला जब केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने बहाली का आदेश दिया.

इसके बाद जीपी सिंह की लडा़ई अपने आपको बेगुनाह साबित करने पर आकर टिक गई थी. उन्होंने हाईकोर्ट बिलासपुर में एक याचिका दायर की थी.

यह याचिका आय से अधिक सँपत्ति, ब्लैकमेलिंग और राजद्रोह के प्रकरण पर दर्ज की गई एफआईआर रद्द कराने को लेकर थी. इसका फैसला भी हाल फिलहाल उनके हक में आया है.

अधिवक्ता हिमांशु पाँडेय बताते हैं कि फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने दिया है. हाईकोर्ट ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों की एफआईआर प्रोसिडिंग्स को रद्द कर दिया है.

अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजनीतिक षड़यंत्र के तहत फंसाया था. उनके खिलाफ किसी भी मामले में कोई भी साक्ष्य नहीं है. कोर्ट ने भी माना कि उन्हें परेशान करने के लिए झूठे मामले में फंसाया गया है.

सवाल जो जवाब माँगते हैं . . .

  1. जिस व्यक्ति के पास से सोना जब्त किया गया था यदि वह स्टेट बैंक का कर्मचारी है तो उस पर केस क्यूं दर्ज नहीं किया गया ?
  2. किस आधार पर जब्त किया गया सोना आईपीएस जीपी सिंह से जोड़ दिया गया ?
  3. जिस स्कूटी से एक किलो सोने की जब्ती दर्शाई गई थी उसका पँजीयन न तो जीपी और न ही उनके किसी परिजन के नाम से है तो कैसे इसे जीपी से जोड़ दिया गया ?
  4. कथित रँगदारी के मामले में वर्षों बाद सीधे डीजीपी से क्यूं और कैसे शिकायत हुई जबकि शिकायतकर्ता जीपी सिंह को जानता भी नहीं है ?
  5. राजनांदगाँव का वह कौन सा व्यवसायी है, जिसके यहाँ जीपी से व्यवसायिक रिश्तों को लेकर छापा डाला गया था ? यह व्यवसायी किस व्यवसाय से जुडा़ है ?

बहरहाल, एक पुलिस अधिकारी से जुडे़ मामले में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ने राज्य की पुलिस के साथ साथ सरकार की भी कलई खोल दी है. मामले में अब कोई मुँह खोलने भी तैयार नहीं है.

इस प्रकरण को लेकर हमने एसीबी के तत्कालीन मुखिया आईपीएस शेख आरिफ से सँपर्क करने का प्रयास किया था. गुरूवार सँध्या 4 बज कर 13 मिनट पर उनके मोबाइल नँबर पर घँटी की गई लेकिन किन्हीं व्यस्तताओं के चलते वह फोन नहीं उठा पाए इस कारण उनका पक्ष पता नहीं चल पाया.

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