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रायपुर.
दो दिसंबर 2022 . . . यही वह तारीख है जिसे सौम्या चौरसिया सँभवतः अपने जीवन से हटा देना चाहेंगी. इस तारीख के पहले तक वह राज्य की सबसे ताकतवर अधिकारी मानीं जाती थी. इतनी ताकतवर कि उन्हें “सुपर सीएम” अथवा “लेडी अमन सिंह” जैसे नामों से पुकारा जाने लगा था. राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अपनी एक कार्रवाई से सौम्या चौरसिया को पुनः चर्चा में ला दिया है.
दरअसल, छग के इतिहास में शायद ही किसी महिला अधिकारी की हैसियत उनके मुकाबले रही हो. सौम्या चौरसिया, 2018 में काँग्रेस की सरकार बनने पर अकस्मात चर्चा में आईं थीं.
तब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने सचिवालय में उन्हें उप सचिव के पद पर पदस्थ किया था. माना जाता है कुछेक महीनों में ही वह इतनी ज्यादा प्रभावशाली हो गईं थीं कि उन्हें बताए बिना कोई फाइल इधर से उधर नहीं होती थी.
पहले ईडी, अब एसीबी – ईओडब्यू की कार्रवाई से चर्चा में सौम्या…
मुख्यमंत्री सचिवालय में घँटी ड्यूटी करने वाला कर्मचारी भी प्रभावशाली माना जाता है. उस पर से उप सचिव स्तर की कुर्सी पर बैठी चौरसिया की तो बात ही निराली थी.
ऐसा माना जाता है कि प्रदेश में काँग्रेसी मुख्यमंत्री के 17 दिसंबर 2018 को शपथ लेते ही सौम्या चौरसिया की किस्मत ने पलटी मारी थी. उस समय तक वह रायपुर नगर निगम में अपर आयुक्त के पद पर पदस्थ थीं.
मुख्यमंत्री के शपथ लेने के तीसरे ही दिन वह मुख्यमंत्री सचिवालय में पहुँच गईं थी. सीएम की डिप्टी सेक्रेटरी होने का उन्हें जबरदस्त फायदा हुआ. कहते हैं कुछेक माह में ही उनका जलवा ऐसा हुआ कि आईएएस – आईपीएस की “क्लास” लेने लगीं थीं.
ईमानदार आईपीएस को ईओडब्यू चीफ बनने से रोका, एसपी को हटवाया…
सौम्या चौरसिया से जुडे़ अनगिनत किस्से आपको छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक व राजनीतिक क्षेत्र में सुनने को मिल जाएंगे. माना जाता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय की उप सचिव की कुर्सी पर बैठकर कई मर्तबा मनमानी की थी.
तब के मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा के कई बडे़ नेताओं सहित राज्य के महत्वपूर्ण अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे. उन्हें ऐसे किसी अधिकारी की तलाश थी जोकि न केवल ईमानदार हो बल्कि साहसी और निडर भी हो. साथ ही साथ वह किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव में न आता हो.
ऐसा माना जाता है, कि तब के मुख्यमंत्री एक आईपीएस को ईओडब्यू का चीफ बनाने का मन बना चुके थे. फाइल भी तैयार कर ली गई थी लेकिन नियुक्ति नहीं हो पाई. कारण थीं सौम्या.
कहा जाता है कि एक जिले के पुलिस कप्तान ने निरीक्षकों के फेरबदल में सौम्या की नहीं सुनी थी. दोनों के मध्य कहासुनी की चर्चा सुनाई दी थी. अगली ही सुबह एसपी बदल दिए गए.
…और तो और मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ रहे एक आईएएस की वहाँ से रवानगी में भी सौम्या चौरसिया का ही नाम सुनने में आया था. इसके बाद उक्त आईएएस ने सेंट्रल डेपुटेशन पर जाना बेहतर समझा था.
खैर, यह तो सुनी सुनाईं बातें हैं. सच हों अथवा न हों. लेकिन सौम्या चौरसिया कितनी ज्यादा महत्व रखती थीं यह उनके खिलाफ की गई कार्रवाई से समझा जा सकता है.
पहले आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय जाँच एजेंसियाँ और अब एसीबी – ईओडब्यू जैसी स्टेट एजेंसी . . . केंद्र से लेकर राज्य तक के विभिन्न विभाग सौम्या चौरसिया के खिलाफ जाँच में लगे हुए हैं.
सौम्या, 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी (फिलहाल निलँबित) हैं. वह मध्यमवर्गीय परिवार की सदस्य बताईं जाती रहीं हैं. उन्हें तीन भाई – बहनों में सबसे बडा़ बताया जाता है.
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक उनकी शिक्षा छत्तीसगढ़ के औद्योगिक शहर कोरबा की है. पीएससी क्लीयर करने के बाद उन्होंने बिलासपुर से प्रशिक्षण प्राप्त किया.
इसके बाद वह बिलासपुर जिले में ही पहले पेंड्रा की अनुविभागीय दँडाधिकारी यानिकि एसडीएम बनीं थी. फिर वह बिलासपुर एसडीएम बनाईं गईं.
स्थानांतरण पर वह 2011 में दुर्ग जिले में आ गईं. पहले भिलाई और फिर पाटन एसडीएम का दायित्व उन्होंने सँभाला. भिलाई चरौदा जब नगर निगम बना तब सौम्या चौरसिया की नियुक्ति मार्च 2016 में पहले आयुक्त के रूप में हो गई.
इसके बाद वह रायपुर नगर निगम से होते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय की उप सचिव की कुर्सी तक पहुँची थी. लेकिन जिस कुर्सी ने उनका नाम किया उसी ने उन्हें भ्रष्ट आचरण को लेकर बदनाम भी किया.
फरवरी 2020 के आते तक वह राज्य से ज्यादा केंद्र स्तर पर चर्चा बटोर रहीं थीं. कारण था आयकर विभाग का वह छापा जो उनके भी घर पर पडा़ था.
खबर उडी़ अथवा उडा़ई गई थी कि सौम्या के घर से तकरीबन 100 करोड़ रूपए नगद बरामद किए गए हैं. हालाँकि आयकर विभाग की शासकीय विज्ञप्ति में यह सही साबित नहीं हुआ.
तब आयकर विभाग ने 150 करोड़ रूपए के बेनामी सौदे के दस्तावेज प्राप्त होने की बात कही थी. मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तक पहुँच गया.
ईडी ने उच्चतम न्यायालय में बताया कि छत्तीसगढ़ में हजारों करोड़ के खेल खेले जा रहे हैं जिनकी एक कडी़ सौम्या चौरसिया भी हैं. छापों और जाँच का यह सिलसिला जारी रहा.
फिर आया वर्ष 2022 … अक्तूबर का महीना था. ईडी ने ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी थी. सौम्या चौरसिया मुख्य निशाने पर थीं. कई दिनों तक उनसे पूछताछ की गई.
अंततः दो दिसंबर 2022 को वह ईडी की गिरफ्त में आ गईं. तब से ही कोर्ट कचहरी की उनकी दौड़भाग चालू है. उन्हें पहले जमानत नहीं मिली और लाख रुपए का जुर्माना कोर्ट ने अलग से लगा दिया.
इसके बाद इसी साल 25 सितंबर को सौम्या के लिए राहत भरी खबर आई थी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दे दी थी. चूंकि वह कोल स्कैम व मनी लांड्रिंग केस की आरोपी हैं इस कारण जमानत मिलने पर भी बाहर नहीं आ पाईं.
अब राज्य की एसीबी – ईओडब्यू ने उनके खिलाफ नई कार्रवाई की है. शुक्रवार को एसीबी ने आय से अधिक सँपत्ति के मामले में सौम्या चौरसिया को जेल से ही गिरफ्तार कर लिया.
यह गिरफ्तारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत बताई जा रही है. एसीबी ईओडब्यू ने अपनी गिरफ्त में लेने के तुरंत बाद चौरसिया को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत भी कर दिया.
रायपुर में पदस्थ विशेष न्यायाधीश सुश्री निधि शर्मा के न्यायालय में सौम्या पेश की गईं थीं. न्यायालय ने उन्हें 10 दिन की पुलिस हिरासत (कस्टोडियल रिमांड) पर एसीबी को सौंप दिया है.
सौम्या पर आरोप है कि उन्होंने आय से अधिक सँपत्ति अर्जित की है. इसी मामले में एसीबी ने बीती 2 जुलाई को सौम्या सहित निलँबित चल रहीं आईएएस रानू साहू व आईएएस समीर विश्नोई के खिलाफ तीन नए प्रकरण दर्ज किए थे. एसीबी अब सौम्या से नई प्राथमिक सूचना रपट (एफआईआर) के सँबँध में पूछताछ करेगी.