राजनांदगांव। लाल बहादुर शास्त्री प्रशिक्षण अकादमी मसूरी से आए अखिल भारतीय सेवा के प्रशिक्षु प्रशासनिक अधिकारियों ने आज जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री सुरूचि सिंह से जिला पंचायत सभाकक्ष में शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायत, महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास तथा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों ने जिला पंचायत सीईओ से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की एवं अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया। जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि राजनांदगांव जिला महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ जिला है। राजनांदगांव जिला जहां एक ओर गोंदिया जिला से जुड़ा हुआ है तथा उत्तरी भाग गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित जिले से जुड़ा हुआ है। राजनांदगांव जिले के कुछ क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि एक प्रशिक्षु अखिल भारतीय सेवा के प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर आप सभी के लिए जमीनी स्तर पर कार्य क्षेत्र में आ रही चुनौतियों को समझने तथा सीखने के लिए एक बेहतरीन अवसर है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की जानकारी देते हुए प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों को बताया कि छत्तीसगढ़ में मुख्यतः धान की खेती की जाती है। रबी एवं खरीफ में भी धान की खेती ली जाती है। उन्होंने बताया कि यहां पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत शासन की ओर से पात्रता अनुसार निःशुल्क चावल का वितरण किया जाता है। यहां किसानों से धान खरीदी का कार्य शासन की योजना के तहत प्रमुखता से किया जाता है।
जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह ने बताया कि धान की खेती प्रमुखता से करने के कारण तथा रबी के मौसम सीजन में भी धान की फसल लेने के कारण राजनांदगांव जिले के राजनांदगांव, डोंगरगांव, डोंगरगढ़ विकासखंड में भू-जल के स्तर में कमी आयी है। जिसके दृष्टिगत जिले में मिशन जल रक्षा प्रारंभ किया गया है। उन्होंने मिशन जल रक्षा के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यह भारत शासन के कैच द रैन अभियान का हिस्सा है। मिशन जल रक्षा के तहत जल संरक्षण के लिए जीआईएस पर आधारित कार्यक्रम के तहत विभिन्न तरह के वाटर स्ट्रक्चर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी को यह जानना जरूरी है कि मनरेगा अंतर्गत जनसामान्य के लिए उपयोगी संरचना का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में जनहित के लिए किया जा सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मिशन जल रक्षा अंतर्गत जिला प्रशासन द्वारा समुदायिक सहभागिता से कार्य किया जा रहा है। जिसमें उन्हें जल संकट की चुनौती एवं जल संरक्षण के उपायों के संबंध में जानकारी दी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वसहायता समूह, किसानों, महिलाओं, श्रमिकों की सहभागिता से कार्य करते हुए जल, स्वच्छता एवं कृषक संगोष्ठी का आयोजन भी किया जा रहा है और उन्हें जल सरंक्षण, स्वच्छता एवं फसल विविधीकरण, पौधरोपण के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के लिए पौधरोपण बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिशा में सभी के समन्वित प्रयासों से बारिश के दिनों में व्यापक पैमाने पर पौधरोपण किया गया। उन्होंने वाटर रिचार्ज के स्ट्रक्चर के साथ ही अमृत सरोवर के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवर योजना अंतर्गत पहले पुराने सरोवर का जीर्णोद्धार तथा नये सरोवर का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। वही इसमें किसान उत्पादक संगठन, किसान, सीएसआर, बीज उत्पादक कंपनी की भी सहभागिता है। कृषि मित्र एवं कृषि सखी द्वारा किसानों को धान के बदले अन्य फसल लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें उन्हें आगे चल कर और अधिक लाभ होगा। उन्होंने पोट्ठ लईका पहल के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत बच्चों के सुपोषण की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा कार्य किया जा रहा है। गंभीर कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार देने के साथ ही स्वास्थ्य जांच की जा रही है तथा प्रति शुक्रवार पालक चौपाल का आयोजन करते हुए उन्हें पौष्टिक आहार, स्वच्छता के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। व्यवहार परिवर्तन करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कार्य किया जा रहा है। जिसमें विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं एवं उद्योगों की भी सहभागिता है। इस अवसर पर अपर कलेक्टर इंदिरा नवीन प्रताप सिंह तोमर, नगर निगम आयुक्त अतुल विश्वकर्मा सहित अन्य अधिकारी व प्रशिक्षु आईएएस उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि 10 नवम्बर से 16 नवम्बर 2024 तक प्रशिक्षु आईएएस जिले के भ्रमण पर रहेंगे तथा ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों का अवलोकन करेंगे।
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