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रायपुर.
जैसी योजना बनाई जा रही है यदि सबकुछ उसी योजना अनुरूप होते रहा तो भविष्य में छत्तीसगढ़ के जेलों का कायाकल्प हो जाएगा. बेहद ईमानदार, कर्त्तव्यनिष्ठ और सही को सही, गलत को गलत कहने वाले आईपीएस हिमांशु गुप्ता इस योजना के असली सूत्रधार बताए जाते हैं.
दरअसल, डीजी जेल हिमांशु गुप्ता को विभागीय समस्याएं विरासत में मिली हैं. गुप्ता के पहले रिटायर्ड आईपीएस राजेश मिश्रा के जिम्मे जेल का प्रभार था. आईपीएस गुप्ता इसी साल 5 सितंबर को जेल डीजी बनाए गए थे.
बताया जाता है कि इसके बाद डीजी जेल गुप्ता ने अपने अधीनस्थ महकमे की सुविधाओं और कमियों को लेकर अध्ययन प्रारंभ किया. सुविधाएं तो ऊंगलियों में गिनी जा सकने लायक ही थी लेकिन समस्याओं का अँबार लगा था.
विभागीय सूत्रों पर यदि भरोसा किया जाए तो डीजी जेल गुप्ता ने सुधार के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार किया है. कुछेक समस्याओं के निराकरण के लिए शासन की अनुमति आवश्यक है जबकि कुछ दिक्कतों का निदान स्वयं के स्तर पर किया जा सकता है.
कितनी जेल, कितने कैदी… ?
छत्तीसगढ़ में कुलजमा 33 जेल बताई जाती हैं. 5 स्थानों की जेलों को केंद्रीय जेल का दर्जा प्राप्त है. 20 ज़िला जेल के अतिरिक्त 8 उप जेल शामिल बताई गईं हैं.
मतलब साफ है कि छत्तीसगढ़ की जेलों को केंद्रीय जेल, ज़िला जेल, और उप जेल के रूप में वर्गीकृत किया गया है. 5 स्थानों पर जो केंद्रीय जेल हैं वहाँ के जेल अधीक्षक का कार्यक्षेत्र भी निर्धारित है.
इन केंद्रीय जेलों के जेल अधीक्षकों को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली ज़िला और उप जेलों की निगरानी करनी होती है. निगरानी में सबसे बडी़ समस्या क्षमता से अधिक कैदियों से जुडी़ हुई होती है.
इसी साल यह मसला विधानसभा में भी उठा था. तब प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया था कि राज्य की 33 में से 24 जेलों में क्षमता से ज़्यादा कैदी हैं.
चूंकि प्रदेश के अधिकाँश स्थानों पर मौजूद जेलों में क्षमता से कहीं ज्यादा कैदी रह रहे हैं इस कारण डीजी जेल मानते हैं कि नए जेल बनाने पड़ेंगे. इसका उन्होंने प्रस्ताव भी तैयार कर रखा है ऐसा बताया जाता है.
छत्तीसगढ़ की केंद्रीय जेल, ज़िला जेल, और उप जेलों को यदि मिला दिया जाए तो कुलजमा 14,143 कैदियों को रखने की क्षमता है. लेकिन क्षमता से कहीं अधिक कैदी रहते हैं. गृहमंत्री ने अपने जवाब में माना था कि 18, 442 सज़ायाफ़्ता कैदी और विचाराधीन बंदी छत्तीसगढ़ की जेलों में रह रहे थे. यह आँकडा़ 31 जनवरी की स्थिति का है.
तब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जोकि गृहमंत्री भी हैं ने बताया था कि 33 जेलों में से, सभी पांच केंद्रीय जेलों, 14 जिला जेलों और पांच उप जेलों सहित 24 जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं. तब की स्थिति में अन्य नौ जेलों में क्षमता से कम कैदी थे.
जब भाजपा विधायक सँपत अग्रवाल ने अपनी ही पार्टी की सरकार से सवाल पूछा था तब छत्तीसगढ़ के जेलों की भयावह स्थिति उभर कर सामने आई थी. सबसे बडी़ क्षमता से कहीं अधिक कैदियों की है.
उस समय अंबिकापुर (सरगुजा) की केंद्रीय जेल की क्षमता 1320 कैदियों को रखने की थी. इसके विरूद्ध तब वहाँ पर 2,013 कैदी रह रहे थे. मतलब क्षमता से 693 अधिक कैदी थे.
नक्सली समस्या से सर्वाधिक प्रभावित बस्तर सँभाग की भी स्थिति गँभीर बताई गई थी. तब अपनी क्षमता 1451 के मुकाबले 1,462 कैदियों की पनाहगार जगदलपुर जेल बना हुआ था.
तकरीबन यही स्थिति अन्य स्थानों पर मौजूद केंद्रीय जेलों की रही होगी. उस वक्त बिलासपुर की केंद्रीय जेल में 2,870 कैदी थे. तब इसकी क्षमता केवल 2,290 को रखने की थी.
प्रदेश के अन्य औद्योगिक जिले दुर्ग में भी केंद्रीय जेल मौजूद है. वहाँ पर 2006 कैदी रखे जा सकते हैं लेकिन 2031 कैदी रह रहे थे.
प्रदेश की राजधानी रायपुर की स्थिति तो बेहद गँभीर बताई गई थी. यह वह समय था जब रायपुर केंद्रीय जेल में 3,076 कैदी रह रहे थे. जबकि उसका निर्माण 1,586 कैदियों को रखने के साथ हुआ था. मतलब क्षमता से 1490 ज्यादा कैदियों का भार इस केंद्रीय जेल पर पड़ रहा था.
डीजी जेल हिमांशु गुप्ता पूर्व में अधिकाँश उन स्थानों पर रह चुके हैं जहाँ पर केंद्रीय जेल मौजूद है. उदाहरण बतौर वह आईजी बस्तर रह चुके हैं.
इसके अलावा उन्होंने आईजी के ही पद पर सरगुजा व दुर्ग रेंज को भी अपनी सेवाएँ दी हैं. मतलब पाँच केंद्रीय जेल वाले स्थानों में से तीन में आईपीएस गुप्ता आईजी रहे हैं. इस कारण वहाँ के जेलों की समस्याओं की वह मोटामोटी जानकारी रखते हैं.
चूँकि अब वह जेल डीजी का प्रभार सँभाल रहे हैं इस कारण गँभीर स्थिति से निपटने उन्होंने गँभीर रूख अपनाया है ऐसा बताया जा रहा है. उनके द्वारा तैयार किए गए ब्लू प्रिंट पर काम होते ही छत्तीसगढ़ की जेलों की तस्वीर बदल जाएगी. बताने वाले आशा जताते हैं कि तब यहाँ के जेल स्वर्ग से सुँदर नज़र आने लगेंगे.