डीजी जेल : क्यूं सिर मुंडाते ही ओले पड़ने लगे ?

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रायपुर.

डीजी जेल का प्रभार सँभालते ही आईपीएस हिमांशु गुप्ता मुश्किल में नज़र आ रहे हैं. एक मुहावरा सिर मुंडाते ही ओले पड़ना इन दिनों उनके लिए ही बना हुआ लगता है.

दरअसल, डीजी जेल के प्रभार में इस माह के प्रथम सप्ताह में ही फेरबदल हुआ था. पहले यह जिम्मेदारी आईपीएस राजेश मिश्रा के पास थी.

आईपीएस मिश्रा 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हुए थे. फिर भी दो फरवरी को उन्हें सँविदा नियुक्ति मिल गई थी.

वह पुलिस मुख्यालय में
विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) नियुक्त किए गए थे. इसके साथ ही उनके पास डीजी जेल का प्रभार भी था.

आईपीएस मिश्रा प्रदेश की साय सरकार में सँविदा नियुक्ति प्राप्त करने वाले पहले अधिकारी रहे हैं. हालाँकि उनके पहले आईपीएस डीएम अवस्थी, आईपीएस सँजय पिल्ले को भी सँविदा नियुक्ति मिली थी लेकिन वह पूर्ववर्ती सरकार के समय की थी.

आईपीएस गुप्ता और विवादों का चोली दामन का साथ . . ?

भाजपा और काँग्रेस सरकार के समय आईपीएस हिमांशु गुप्ता को अच्छी से अच्छी पदस्थापना मिलती रही लेकिन कोई न कोई विवाद भी उठते रहा.

उदाहरण बतौर कोरबा पुलिस अधीक्षक रहने के दौरान सिपाही भर्ती का विवाद उठा था. कोरबा छत्तीसगढ़ में मालदार जिला माना जाता है.

आईपीएस गुप्ता मूलत: जयपुर (राजस्थान) के रहने वाले हैं. इस माह की 5 तारीख के पहले तक वह एडीजी प्रशासन के पद पर कार्यरत थे. हिमांशु गुप्ता 1994 बैच के अधिकारी हैं.

इसी साल 3 जुलाई को वह अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) से पुलिस महानिदेशक (डीजी) के पद पर पदोन्नत हुए थे. 5 सितंबर को ही वह डीजी जेल बनाए गए हैं.

बहरहाल, लगता है हिमांशु गुप्ता का समय फिलहाल ठीक नहीं चल रहा है. तभी तो वह डीजी जेल बनते ही परेशानी में नज़र आ रहे हैं.

कवर्धा जिले में एक थाना क्षेत्र का नाम रेंगाखार बताया जाता है. इसी थाना क्षेत्र के लोहरीडीह में हुई आगजनी का मामला अब नीचे से ऊपर तक परेशानी पैदा कर रहा है.

न्यायिक हिरासत में रखे गए आरोपी प्रशांत साहू की बुधवार को जेल में मौत हो गई थी. पुलिस पर जेल के भीतर और बाहर कथित तौर पर मारपीट के आरोप लगे थे. इसके बाद से जेल डीजी गुप्ता, एसपी कवर्धा डा. अभिषेक पल्लव, गृहमंत्री विजय शर्मा सहित राज्य सरकार दबाव में देखी जा रही है.

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