संकट में सरदार !

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जनचर्चा

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जिलाधीश . . . कलेक्टर . . .
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ( डीएम ). . . जिले के आका . . . जिले के सरदार . . . और न जाने किन किन नामों से इन साहबों को हिंदुस्तान की जनता पुकारती है. इनमें से कुछ बेहद अच्छे स्वभाव ( व्यवहार और कार्यशैली ) तो कुछ इतने खराब होते हैं कि जनता उन्हें जनचर्चा में भी याद नहीं रखती. फिर वो कोई बाबूलाल, समीर, टुटेजा, साहू अथवा अग्रवाल ही क्यूं न हों.

बहरहाल, यहाँ बात 15 अगस्त के जलसे की है. चूंकि देश की आजादी का पर्व था तो छोटे बडे़, सरकारी गैर सरकारी, निजी सामूहिक हर स्तर पर कार्यक्रम आयोजित हुए. ऐसे ही आयोजन में हुए गड़बड़झाले की खबर ने दिमाग को हिला दिया है.

छत्तीसगढ़ के इस जिले के सरदार अब सँकट में नजर आते हैं. हो भी क्यों न . . . क्यूं कि सरदार ने अपने कर्तव्यों के पालन में जनचर्चा में शामिल लोगों के मुताबिक कोताही की और वह पकड़ में आ गई.

तो हुआ यह था कि घर घर तिरंगा, हर घर तिरंगा से उत्साही कुछ देशभक्तों ने इस बार फोटोग्राफ्स – वीडियो तैयार करने की सोची थी. इसके लिए दोपहर बाद का समय निर्धारित किया गया था.

समय पर मेरी शान तिरंगा है गुनगुनाते हुए निकले. सोचा था बढिया आयोजन की डाक्यूमेंटरी तैयार हो जाएगी लेकिन इन्हें तो कुछ और ही देखने को मिला.

कई शासकीय दफ़्तर ऐसे थे जहाँ पर राष्ट्रीय ध्वज के फहराने – लहराने का नामों निशान नहीं था. और तो और इनमें से अधिकांश उन बैंकों के दफ़्तर थे जो केंद्र सरकार के अधीन आते हैं.

प्राइवेट फायनेंस अथवा बैंकिंग कारोबार से जुडे़ लोगों की तो बात ही छोड़ दीजिए. जब राष्ट्रीयकृत बैंक ही राष्ट्रीय पर्व के आयोजन के लिए गँभीर न हो तो बाकी की बातें क्यूं और क्या करना.

अब इस तरह की लापरवाही सरदार को सँकट में ला रही है. दरअसल, देश के बेहद जिम्मेदार गृहमंत्री से एक जिले के सरदार की शिकवा शिकायत की तैयारी की उड़ती उड़ती खबर मिल रही है.

यदि ऐसा हो जाता है तो डीएम साहब को जवाब देने में किस हद तक परेशानी होगी इसका अँदाजा नहीं लगाया जा सकता.

लेकिन इतना तय है कि महाभारत के सँजय की तरह यदि इन्होंने दूरदृष्टि रखी होगी तो आने वाले बुरे समय के पदचाप इन्हें भी नजर आ रहे होंगे.

चूंकि मामला 15 अगस्त, राष्ट्रीय पर्व, देश का स्वतंत्रता दिवस, राष्ट्रीय जिम्मेवारी से जुडा़ होने के साथ ही उस मुखिया अथवा देश के रखवाले से जुडा़ हुआ भी है जिनकी सोच राष्ट्रवादी रही है. जब सवाल उठ रहा है तब जवाब तो माँगा ही जाएगा न . . .

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